खरगोन –
यू बहुत कम मैं तस्वीर किसी के साथ लेता हू …
किंतु आज निमाड़ की बेटी
अहिल्या की नगरी से मेरे नगर पधारी थी … यह बेटी …. निमाड़ के उस गांव की थी …जहा का प्रभुकुंज गुप्ता परिवार खरगोन मूल निवासी है ..खूब अच्छा लगा ….,
इस भारत की नारी जिसे साहित्य में रुचि है , जो कहानीकार है …..
निमाड़ के बिल्कुल छोटे गांव मूलठान से इंदौर तक लम्बा सफर …
भारत का इतिहास बताता है , राजशाही व्यवस्था में राजा के कवि , संगीतकार , पत्रकार ऐसे नौ रत्न होते है ….
साहित्य जगत की ऐसी हस्ती के साथ मेरी यादों को संजोया …
समाजसेवी जितेंद्र जोशी के मोबाइल ने ….
बंधुओ !
मेरे 61 वर्षीय जीवन में मेने ऐसी अनेक घटनाओं को महसूस किया है ….
सुरेशचंद्र पाठक से मेरा परिचय बहुत पुराना है ….जंबू समाज के चौधरी परिवार से प्रभुकुंज गुप्ता परिवार का नाता उस समय से है जब चौधरी परिवार की बहने खरगोन के पी जी कालेज में पढ़ती थी और मेरे बड़े भैय्या को ये बहने शक्कर भैय्या कहती थी ..
शक्कर भैय्या शब्द केसे आया , शायद मैं इसे अंदाज से यू सोच सकता हू की बड़े भैय्या राष्ट्रीय सेवा योजना में भोजन व्यवस्था सम्हालते थे , शकर भोजन व्यवस्था का एक अंग है तो किसी बात पर यही से संभव है शुरुवात हुई हो ….
सुरेश जी पाठक सुबह सुबह ही स्टूडियो आए , अपनी तस्वीर ले गए …मुझे नही मालूम ….
धन्य है आधुनिक व्यवस्था जिसे इनसाइट के भानुदत्त परसाई ने जन्म दिया और एक बार पुनः सुरेशजी पाठक गुरुद्वारा मार्ग की उस भूमी पर थे जिस पर मूलठान से गुप्ता परिवार आया तो 70 वर्षो से उसी भूमी पर है …
जीजाजी और सर दोनो संबोधन प्रस्फुटित हुए …
और दीर्घ अवधि के बाद मेरी ओर सुरेश जी की मुलाकात हुई , प्रिंट वाली तस्वीर को भानु परसाई के मोबाइल पर भेजा जाना था …
थोड़ी ही बातचीत और सुरेश जी के की पैड मोबाइल से महसूस हो गया , अभी सर मोबाइल क्रांति से दूर है …,
वो नरेंद्र मोदी ही थे जिन्होंने पहली बार लेप टॉप पर जब नेट चलाया तो उन्होंने उसी वक्त उस टेकनालाज़ी में भारत की अति उज्जवल तस्वीर देख ली थी , बात सोच की है …
कीचड़ में भी कमल खिलता है साहेब तो हम कीचड़ की गंदगी को देखेंगे या नाना पंखुड़ी धारण किए कमल पुष्प की सुंदरता को ?
सुरेश जी पाठक से मेने तो उसी वक्त अपील कर दी एक सुंदर एंड्रॉयड मोबाइल की , उनकी तस्वीर जब भानु परसाई को भेज दी तो विषय पुस्तक प्रकाशन का निकला और वर्षो बाद मालूम हुआ की जीजाजी कहानीकार भी है …
मेरे ठीक पास में साहित्य जगत के कवि डाक्टर महेश सिंघल रह चुके है , उन्होंने भी उनकी अनेक गजलो के संग्रह की पुस्तक प्रकाशित की है …
एक साहित्य जगत के कवि या कहानीकार की पुस्तक के प्रकाशन की कहानी पर भी एक पुस्तक लिखी जा सकती है इतनी लम्बी व्यथा से गुजरता है भारत का कवि , भारत का कहानीकार …
स्टूडियो के काउंटर पर ही सब बाते हो रही थी …सुरेश जी पाठक जी का एंड्राइड वाले मोबाइल का नंबर मेने नोट किया और कहा जब पुस्तक का विमोचन करो तो मुझे याद करना …नगर के साहित्य , भारतीय संगीत , भारतीय नृत्य के आयोजन में मैं पूरा प्रयास करता हू सम्मिलित होऊ और अपने मोबाइल से चित्र , चलचित्र और शब्दो के माध्यम से उस साहित्य के सुंदर आयोजन को जनमानस तक पहुचाऊ …
क्युकी आज की युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ते जा रहा है , कविता , गजल , कहानी , लघु कथाएं से दूर होता युवा समाज मेरे मन की पीड़ा है , मुझे ईश्वर ने जो दिया है उस माध्यम से उसे प्रचारित करके इस युवा समाज के एक भी युवा के ह्रदय में मेने साहित्य रुचि का बीजारोपण कर दिया तो मेरी पत्रकारिता की साधना का प्रसाद होगा वह …
मोबाइल की घंटी बजी तो नाम स्क्रीन पर था …
*सुरेशचंद्र पाठक*
रविवार दोपहर साढ़े ग्यारह बजे का भोजन सहित निमंत्रण मिला …
सीता मंगल भवन …..
श्री जंबू ब्राम्हण समाज का वह व्यक्तित्व जिसने खरगोन छोड़ इंदौर के अचल चौधरी के सानिध्य में भवन निर्माण का ज्ञान लिया और खरगोन शहर में उसी ज्ञान से एक सुंदर हाल निर्मित हुआ रविवार को काफी समय मेरा साहित्य जगत के मध्य इसी भव्य हाल में व्यतीत हुआ , संतोष न्यूज से जुड़े सेकडो पाठको तक चल चित्र और चित्र के माध्यम से सुरेशजी पाठक की पुस्तक
*रावण का बाजार*
विमोचन की सारी खबर को भेजा गया ….
सब साहित्य प्रेमी जब भोजन कर रहे थे तो खरगोन के प्राथमिक विद्यालय की पहली कक्षा के श्री लक्ष्मीनारायण जोशी सर द्वारा पढ़ाए गए दो साथी , 90 × 60 के सीता मंगल भवन के भव्य हाल जिसके मध्य में कोई पिलर नही था, प्लास्टिक की कुर्सी पर लम्बे समय तक बैठे बैठे अनेक विषयों पर चर्चा कर रहे थे …अनेक साथी आए भोजन जा निवेदन किया , सभी को आश्वासन देकर पुनः बातचीत में मशगूल ये दो साथी अनेक लोगो की आंखों में शेयर हो रहे थे , श्रीमती पाठक भी आई …उन्हे भी समझा कर भेज दिया गया …विवाह का निमंत्रण की तारीख मोबाइल में लिख ली गई , पुराने साथीगण की याद में सुरेश गुप्ता खरगोन , किशोर दत्ता मुंबई और एक पाटीदार की चर्चा निकली …भारत की कानून व्यवस्था , न्याय व्यवस्था की भी अनेक उदाहरण के साथ चर्चा हुई …
सारा साहित्य जगत अब भोजन उपरांत अपने अपने घर प्रस्थान कर चुका था …
*राजकुमार पाठक और संतोष गुप्ता*
ने हाल की प्लास्टिक की कुर्सियों का त्याग किया और कुछ कदम के लघु सफर के बाद दोनो के हाथो में गुलाब जामुन और आलूबड़े थे …
गणेश पूजन शेष था , प्रभु से क्षमा मन ही मन मांगी और पाठक परिवार के प्रेम को स्थान दिया क्युकी मेरे ठाकुर को प्रेम ही तो पसंद है ….
*रामही केवल प्रेम पियारा*
संत तुलसीदास जी की अवधि भाषा की रामचरित मानस यदि उम्र के दस वर्ष से पढ़ी हो तो स्मरण स्वाभाविक है ….
बाहर प्रस्थान करते समय सुरेशचंद्र जी पाठक जी की पुस्तक रखी थी , डेढ़ सौ रुपए मूल्य की पुस्तक आत्मीयता और प्रेम के कारण निशुल्क दी जा रही थी …,
पुस्तक उठाई …एक्टिवा की लघु डिक्की में रखी और खुले आकाश के नीचे , प्रकृति की हरियाली , शीतल , मंद वायु के बीच प्रभुकुंज निवास पर लौट आया ….,.
पुस्तक में आठ कहानियां है , *डूबता सूरज , नरभक्षी , चोरी , रिवाज , बगावत , रावण का बाजार , मास्टर मुरली राज और पत्र प्रसंग*
जब भी पढूंगा निश्चित खरगोन के कहानीकार सुरेशचंद्र जी पाठक की इस पुस्तक कहानी संकलन *रावण का बाजार* की समीक्षा अवश्य लिखूंगा ….
एक अच्छे आयोजन की जिपलेप खरगोन को पाठक परिवार को खूब खूब बधाईया , आज देश और समाज की आगामी युवा पीढ़ी को साहित्य से जोड़ना बहुत जरूरी है ऐसे में यह प्रयास प्रशंसनीय और अनुकरणीय है !
*स्वतंत्र पत्रकार संतोष गुप्ता की रिपोर्ट*✍️
*दूरभाष – ९८२६२- २९६५७*
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